Sunday 21 February 2016

 मेरे दोस्त के पास एक कुत्ता है। दरअसल एक नहीं तीन - चार कुत्ते हैं। सभी कुत्ते बढ़िया नस्ल के हैं। मेरे दोस्त ने जिस तरह से मुझे उनके बारे में बताया, उसे सुन कर मेरी जिज्ञासा बढ़ गई। मैं उन्हें देखने के लिए उसके घर गया। घंटी बजते ही कई कुत्ते एक साथ अंदर से भौंकने लगे. फिर एक आवाज़ आई और सब चुप हो गए। दरवाज़ा खुला तो देखा की सब अनुशासित तरीके से दूध, रोटी, चिकन और भी ना जाने क्या क्या खा रहे हैं। उनसे नज़र मिलते ही मानो नज़रों में ही उन्होंने मेरा अभिवादन किया।

उन कुत्तों को करीब से जानने के लिए उस रात मैं वहीँ रुक गया। रात होते ही सभी कुत्ते अपनी अपनी जगह सोने चले गए। देर रात अचानक एक कुत्ते के ज़ोरों से भौंकने की आवाज़ आई। काफी देर तक एक कुत्ता भौंकता रहा और कुछ देर बाद आवाज़ बढ़ने लगी। ऐसा लगा कि कई कुत्ते भौंक रहे है। मुझे समझते देर ना लगी कि कम से कम तीन चार तो हैं ही. मैं उठा तो देखा की घर के सारे कुत्ते मज़े से सो रहे हैं और ये आवाज़ बाहर गली से आ रही थी.

 अगली सुबह दोस्त से इसी बारे में बात हुई तो हमने फैसला किया कि जो कुत्ता पहले भौंक रहा था, उसे घर में रख लेते हैं, खाने पीने का देंगे तो न वो चिल्लाएगा और न दूसरे कुत्ते। वैसे भी बढ़िया कुत्तों के साथ रहेगा तो अनुशासन सीख लेगा। ज़िन्दगी में अनुशासित होना भी बहुत ज़रूरी है।

हमने वैसा ही किया, जिसका नतीजा भी कमाल का निकला। जैसा सोचा था ठीक वैसा ही हुआ. हालांकि उस कुत्ते को घर के बाकी कुत्तों के साथ घुलने मिलने में तीन चार दिन ज़रूर लगे लेकिन अब सब ठीक था। ना गली का कोई कुत्ता भौंकता था और न घर का। हम भी चैन से सो रहे थे। पांच सात दिन बीते कि एक कुत्ते के भौंकने की आवाज़ से मेरी नींद फिर खुल गई। एक के बाद फिर बहुत सारे कुत्तों ने भौंकना शुरू कर दिया।  मुझे समझते देर न लगी  मैं फिर कोई नेता बन गया है जिसे अलसुबह चुप कराना पड़ेगा। उस नेता कुत्ते की पहचान करने के लिए मैं उठा तो देखा कि इस बार घर के ही सारे कुत्ते आपस में एक दूसरे पर भौंक रहे हैं और गली मे सन्नाटा पसरा है।

नोट -  ये सभी कुत्ते मेरे खाली दिमाग की उपज है। इनका आजकल की परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं है। ना ही इस मृत शहर में इनका किसी जीवित या मृत कुत्ते से कोई वास्ता है।